सर्बिया, जो लंबे समय से रूस और चीन का करीबी देश माना जाता है, अब फ्रांस से 12 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने जा रहा है। इस डील की घोषणा सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक ने की। उन्होंने कहा कि सर्बिया अपने पुराने सोवियत मिग-29 विमानों को बदलने के लिए यह कदम उठा रहा है। इस समझौते के बाद नाटो देशों में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि कभी फ्रांस ने सर्बिया पर बमबारी की थी, और अब वही देश उसे आधुनिक विमानों की आपूर्ति कर रहा है।
सर्बिया-फ्रांस राफेल डील की प्रमुख बातें:
- 12 राफेल जेट की डील: सर्बिया 12 राफेल जेट खरीदने वाला है, जिनमें 9 सिंगल-सीटर और 3 टू-सीटर विमान होंगे।
- डील की कीमत: यह सौदा 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जिसमें अतिरिक्त इंजन और स्पेयर पार्ट्स भी शामिल हैं।
- नाटो देशों की चिंता: नाटो देशों को डर है कि सर्बिया, जो रूस और चीन का करीबी है, राफेल की तकनीक साझा कर सकता है।
- 25 साल पहले सर्बिया पर फ्रांस की बमबारी: 1999 में फ्रांस ने नाटो के साथ मिलकर सर्बिया पर बमबारी की थी, जिसमें 2,500 लोग मारे गए थे।
- रूस पर निर्भर सर्बिया का बदलाव: सर्बिया का यह कदम उसकी रूसी हथियारों पर निर्भरता से हटकर पश्चिम की ओर बढ़ने का संकेत है।
| विषय | विवरण |
|---|---|
| देश | सर्बिया |
| लड़ाकू विमान | राफेल |
| डील की घोषणा | सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक |
| विमानों की संख्या | 12 |
| डील की कीमत | 3 बिलियन डॉलर |
| विमानों का प्रकार | 9 सिंगल-सीटर, 3 टू-सीटर |
| नाटो चिंता | रूस और चीन के साथ तकनीक साझा करने का खतरा |
| फ्रांस द्वारा बमबारी | 1999 में सर्बिया पर नाटो अभियान |
सर्बिया की इस डील से क्षेत्रीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, जहां पश्चिमी ताकतों के साथ उसकी नई साझेदारी रूस को कमजोर कर सकती है।
