Aligarh mob lynching case: मृतक औरंगजेब पर 11 दिन बाद डकैती का केस दर्ज करने पर हाईकोर्ट ने UP सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि अलीगढ़ में मॉब लिंचिंग के शिकार औरंगजेब उर्फ फरीद के मरने के 11 दिन बाद उस पर डकैती का मुकदमा कैसे दर्ज किया गया। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है। 


मामले की पृष्ठभूमि

18 जून को अलीगढ़ के मामू भांजा इलाके में औरंगजेब की मॉब लिंचिंग कर दी गई थी, जब कुछ लोगों ने उसे चोरी के शक में घेरकर पिटाई कर दी थी। गंभीर हालत में औरंगजेब को मलखान सिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। पुलिस ने शुरू में 6 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, जिसमें बीजेपी नेता अंकित वार्ष्णेय भी शामिल थे। इसके बाद, औरंगजेब के परिवार के खिलाफ भी 11 दिन बाद डकैती और छेड़खानी का मामला दर्ज किया गया।


हाईकोर्ट की सख्ती

मोहम्मद जकी, जो औरंगजेब के भाई हैं, ने इस मामले में एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। जकी के वकील ने तर्क दिया कि यह एफआईआर जवाबी कार्रवाई का हिस्सा है, जिसे औरंगजेब और उनके परिवार को फंसाने के लिए दर्ज किया गया है। कोर्ट ने जकी की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से पूछा कि एक मृतक पर 11 दिन बाद डकैती का केस कैसे दर्ज किया गया।


पुलिस की कार्रवाई और राजनीतिक हस्तक्षेप

18 जून की घटना के बाद अलीगढ़ में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। तीन दिनों तक हिंसा और हंगामे की स्थिति बनी रही थी। बीजेपी नेता और उनके समर्थकों ने भी विरोध किया था, जबकि सपा, बसपा, कांग्रेस और चंद्रशेखर आजाद ने औरंगजेब के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की थी। 

एसएसपी संजीव सुमन ने बताया कि औरंगजेब की हत्या से जुड़े मुकदमे पर चार्जशीट तैयार की जा रही है और इसे जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा।
और नया पुराने